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हमसफ़र 15 पॉर्ट सीरीज पॉर्ट - 4




हमसफ़र (भाग - 4)

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अगले दिन प्रात वीणा ने कल की सारी बातें अपने माता-पिता को बताया और सुमित के द्वारा दिए गए 50,000 रुपयों के विषय में भी बताया। कहा कि उसीके कारण उसका ऐडमिशन हो पाया नहीं तो 20000 देने पर कॉलेज वालों ने तो उसे वापस ही भेज दिया था। कहते हुए उसने सुमित के विषय में जानकारी दी। उसके पिता थोड़े घबराए भी और कहा  -  "अनजान आदमी किसी को इतनी बड़ी राशि कैसे दे सकता है। थोड़ा संभल के रहना क्योंकि तुम लोग दोनों ही एक ही शहर में रहोगी। पता नहीं वह कैसा लड़का हो।और कुछ गलत लाभ तुमसे उठाना चाहे वीरेन ने इसका तगड़ा विरोध किया।


उसने कहा - " दीदी तो नहीं लेना चाहती थी मैंने भी दबाव दिया दीदी का एडमिशन हो जाए इसलिए। और उन्होंने देने की बात की है न तो आप इतना क्यों परेशान होते हैं! जैसे किश्त कॉलेज में देते तो सुमित भैया को लौटा दीजिएगा। अगले महीना व्यवस्था करके दीदी के कॉलेज की फीस पूरी कर दीजिए, फिर सुमित भैया को भी पैसे लौटा दीजिएगा। और सुमित भैया तो दिनभर और ट्रेन में भी इतनी देर हमारे साथ रहे। इतनी देर में कुछ भी ऐसी गलत हरकत नहीं की, जिससे हमें लगे कि वह कोई गलत आदमी हैं''।



उसके माता-पिता ने उसे खामोश रहने को बोला और कहा -



    "तुमसे बड़ी है तो तुमसे अधिक समझदार भी होगी तुम्हारी दीदी। और हमें भी उस पर विश्वास है। लेकिन फिर भी उस लड़के की पूरी जानकारी तो लेनी ही होगी। पिता का नाम और पता जो बता रहे हो वह तो इस शहर के बड़े लोगों में गिने जाते हैं। और इतने बड़े लोग, इतने पैसे वाले लोग कभी किसी के लिए मुफ्त में कुछ भी नहीं करते । इसी से मुझे डर लग रहा है, और तुम्हारी दीदी भी इसलिए पैसे नहीं ले रही होगी। खैर छोड़ो अब जो हो गया, वो हो गया; लेकिन आगे सावधान रहना।




   वीणा का b.Ed का क्लास अगले सप्ताह से प्रारम्भ हो रहा था, इसलिए वह व्यस्त हो गई अपनी तैयारियों में।



  अपने पिता के साथ वह इस बार कॉलेज गई। इस बार उसकी सुमित या अजय से भेंट नहीं हुई। उसके पिता उसके कॉलेज और हॉस्टल की व्यवस्था देख कर सन्तुष्ट होकर अपने घर आये।




इस बीच सुमित की वीरेंद्र से फोन पर बात हुई और उससे वीणा का समाचार भी पता चला। सुमित ने वीणा को कभी फोन नहीं किया। सुमित भी अपने कॉलेज चला गया था। दोनों का क्लास प्रारंभ हो गया।




   वीणा को पता भी नहीं चला और सुमित उसके कॉलेज आकर शेष फ़ीस जमा कर गया था। दशहरे की छुट्टियों के पहले जब वह फीस प्रभारी से फीस के लिये थोड़ी और मोहलत माँगने गई तब उसे पता चला। प्रभारी ने बताया उसके घर वाले आकर दे गये। वह आश्चर्य चकित हुई थी। पापा या  वीरेन होते तो उससे अवश्य मिलते। फिर और कौन हो सकता है ? कहीं सुमित तो नहीं •••••••• ! सुमित का नंबर उसके पास नहीं था वीरेन के मोबाईल में था तो सोचा अभी छुट्टियों में घर जाना है तभी बात करेगी। अभी फोन से बात करने पर पापा और परेशान हो जायेंगे।




   दशहरे की छुट्टियों में सुमित भी अपने घर आया था और वीणा भी अपने घर आयी थी। सुमित की वीरेन से अक्सर बात होती थी। उसीसे पता चला वीणा भी घर आएगी दशहरे में। 




  वीरेन - " पता है भैया हमारे यहाँ पूजा हो रही है। दुर्गा माँ की कलश स्थापना की हुई है"।



   सुमित - " अरे वाह वीरेन तुम्हारे यहाँ  दशहरा पूजा का आयोजन हो रहा है। दशहरे की पूजा में हमें नहीं बुलाओगे पूजा देखने"। 




   वीरेन  - " क्या बात करते हैं भैया आपका घर है आप जब आना चाहे आ जायें"।




   सुमित  -   "ठीक है तो मैं नवमी के दिन आऊंगा। क्या मैं अपने पूरे घर वालों के साथ तुम्हारे यहां आ सकता हूं? अपने माता-पिता से भी एक बार पूछ लेना और अपनी दीदी से भी बात कर लेना तब मुझे बताना। फिर मैं अपने माता-पिता और पूरे परिवार के साथ तुम्हारे घर आना चाहूँगा यदि तुम्हारे परिवार की अनुमति हुई तो"। 



सुमित ने यह बातें वीणा और अपने माता-पिता को बताई। उसके माता-पिता तो हैरान हो गये।




  मनोहर जी (वीणा के पिता) --" हां बोल दो आने के लिए हम उनके अनुगृही ही हैं। और वह लड़का सुमित लगता है सच में अच्छा है। तभी तो अकेले नहीं आ कर अपने परिवार सहित आना चाहता है"।




  तभी वीरेन ने फोन करके सुमित को कहा - " पापा-मम्मी ने कहा है भैया आप पूरे परिवार के साथ आइए। हम लोग आपका स्वागत करेंगे। उन्होंने तो यह भी कहा था कि नवमी क्यों आप तो आज भी आ सकते हैं। हमारे यहां तो रोज पूजा हो रही है अभी दोनों समय। आप कभी भी आ सकते हैं।




सुमित  -  नहीं नवमी के दिन ही आएंगे। उस दिन विशेष पूजा होती है। हवन भी होता है तो हमलोग उसमें शामिल होना चाहेंगे। तुम पूजा का समय बतला देना"।

  


                                  क्रमशः


    निर्मला कर्ण





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4 Comments

Harsh jain

04-Jun-2023 02:04 PM

Nice 👍🏼

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Alka jain

04-Jun-2023 12:53 PM

V nice 💯

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वानी

01-Jun-2023 06:57 AM

Nice

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